शुक्रवार 12 सितंबर 2025 - 07:17
शरई अहकाम । क्या नमाज़ के दौरान दूसरों को आगाह करने के लिए अपनी आवाज़ ऊँची करना जायज़ है?

हौज़ा / आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने नमाज़ के दौरान दूसरों को आगाह करने के लिए अपनी आवाज़ ऊँची करने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, कभी-कभी फ़र्ज़ नमाज़ के दौरान, ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जब किसी को अपने आस-पास के लोगों को, जैसे कि किसी बच्चे को जो खतरे में हो, चेतावनी देने या सूचित करने की ज़रूरत महसूस हो सकती है। ऐसे मामलों में, सवाल उठता है कि क्या दूसरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए नमाज़ के कुछ हिस्सों, जैसे सूरह हम्द या ज़िक्र, को ज़ोर से पढ़ना जायज़ है?

इस विषय पर आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने पूछे गए प्रश्न का उत्तर दिया है जिसे हम अहकाम मे रूचि रखने वालो के लिए प्रस्तुत कर रहे है।

सवाल : कभी-कभी, फ़र्ज़ नमाज़ अदा करते समय, हम किसी बच्चे को कुछ खतरनाक करते हुए देखते हैं। क्या सूरह हम्द या किसी अन्य सूरह के कुछ शब्द या कुछ ज़िक्र ज़ोर से पढ़ना जायज़ है?

जवाब: अगर दूसरों को सूचित करने के लिए नमाज़ की आयतें या ज़िक्र पढ़ते समय आवाज़ ऊँची करने से नमाज़ के स्वरूप और रूप में कोई बदलाव नहीं आता, तो कोई समस्या नहीं है। बशर्ते कि क़िराअत और ज़िक्र, क़िराअत और ज़िक्र के इरादे से हो, और अगर आँखों और भौंहों के साथ हाथों की गति संक्षिप्त और इस तरह से हो कि वह नमाज़ की स्थिरता और शांति या रूप के विपरीत न हो, तो इससे नमाज़ बातिल नहीं होती।

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